Wednesday, February 28, 2007

मैंने भी दे ही दिये जवाब ....



जब ये देखा की मुझे एक नहीं तीन-तीन लोगों ने नामित किया है तो एक बार तो विश्वास नहीं हुआ... मुझे नारद से जुङे बस एक महीना और कुछ दिन हुये हैं.. पता ही नहीं चला कब आत्मीयता हो गयी सबसे और मैं भी इस परिवार कि एक सदस्य बन गयी.. अब बिना कोई लंबी चौङी भूमिका बांधे मैं सवालों के जवाब दे देती हूं.. सबकॊ बोर नहीं करना चाहती.. ऐसे भी मेरी कविताओं से सबको शिकायत है कि बहुत दुखी रहती हूं.. अब गद्य में भी बोर कर दिया तो सब भाग जायेंगे..

सबसे पहले जीतू जी के सवाल...
*क्या चिट्ठाकारी ने आपके जीवन/व्यक्तित्व को प्रभावित किया है?
- हां.. बहुत हद तक एक तो लिखने का मुझे बहुत शौक है.. चिट्ठाकारी से शौक तो पूरा होता ही है .. मन को भी बहुत शांति मिलती है अपनी बात कह्कर..

*आपने कितने लोगों को चिट्ठाकारी के लिये प्रेरित किया है?
- सच कहूं तो एक भी नहीं.. पर हां पढने के लिये फिर भी कुछ को प्रेरित किया है .. और वो पढ भी रहे हैं.. हो सकता है कल को लिखने भी लगें..

*आपके मनपसंद चिट्ठाकार कौन है और क्यों?
- ये बताना मुश्किल है मेरे लिये .. एक तो मुझे ज्यादा दिन नहीं हुये इससे जुङे हुये... और मैं जिन्हें भी पढती हूं सभी पसंद आते हैं.. सबका अपना अंदाज़ है.. कोई बहुत सरल सहज है, तो कोई दर्शन में उल्झा है.. कोई राजनीति से परेशान है.. तो कोई खुद से व्यथित.. कोई हंसाता है .. कोई सोचने को मजबूर करता है.. कोई रूला भी देता है.. सबके अपने रंग हैं.. और मुझे सारे रंग पसंद हैं..

*आपको चिट्ठाकरी करते समय कैसा प्रोत्साहन और सहयोग मिला था?
- ये उत्तर थोङा लंबा होगा.. मैंने सबसे पहले याहू ३६० पर लिखना शुरू किया था.. इंग्लिश में ( अब भी लिखती हूं).. हिन्दी रचनायें डायरी तक सीमित थी.. वैसे काफ़ी सालों से लिख रही हूं.. फ़िर एक दिन दिव्याभ(
www.divine-india.blogspot.com) को पढा ये मेरे दोस्त के बङे भाई हैं और मेरे दोस्त भी हैं.. इनकी मदद से पहले blog बनाया और हिंदी लिखना सीखा.. पर कभी नहीं सोचा था की किसी bloggergroup से जुङूंगी.. पर दिव्याभ जी ने मेरी रच्नायें पढीं और प्रेरित किया की इन्हें लोगों तक पहुंचाऊं.. तब इनकी मदद से नारद से जुङी .. यहां जीतू जी ने बहुत मदद की.. काफ़ी सुझाव दिये.. आज मेर blog जैसा भी है इन्हीं दोनों की वजह से..

*आप किन विषय पर लिखना पसंद/झिझकते हैं?
- जैसा की मेरी रचनाओं मे दिखता है की भावनात्मक कवितायें ज्यादा लिखती हूं.. पर किसी भी विषय पर लिख सकती हूं बिना झिझके..


अब सागर जी के सवाल...

*आपकी दो प्रिय पुस्तकें और दो प्रिय चलचित्र कौन सी हैं?
- पढने का बहुत शौक है पर भारी भरकम किताबें ज्यादा नहीं पढ पाई हूं.. वैसे शिव खेङा की "जीत आपकी" और GREY JOHN की 'men are from mars women are from venus pasand hai' वैसे comics , कहानियां पढने का बहुत शौक है..
मेरे दो प्रिय चलचित्र सिर्फ़ दो कहना मुश्किल है.. दो romantic फ़िल्में बोलूं तो कुछ-कुछ होता है और दिलवाले दुल्हनियां.... दो Patriotic फ़िल्में कहूं तो .. नायक, रंग दे बसंती और off beat cinema ज्यादा पसंद है जैसे Page 3, फ़िलहाल, अस्तित्व, ईंग्लिश फ़िल्मों में titanic, baby's day out, Mummy पसंद है.. HORROR movies ka बहुत शौक है पर कोई बहुत पसंद नहीं आई आज तक...

*इनमें से आप क्या अधिक पसंद करते हैं, पहले और दूसरे नंबर पर चुनें - चिट्ठा लिखना, चिट्ठा पढना, या टिप्प्णी करना या टिप्पणी पढना ? (कोई तर्क, कारण हो तो बेहतर)
- सबसे पहले चिट्ठा लिखना ( अरे उसी के लिये तो blog बनाया है), फ़िर चिट्ठा पढना ( क्योंकि पढने का शौक है), फ़िर टिप्प्णी पढना और फ़िर टिप्पणी लिखना ( अब ये आखिर में क्यूं सब समझते होंगे)..

*आपकी अपने चिट्ठे की और अन्य चिट्ठाकार कि लिखी हुई पसंदीदा पोस्ट कौन-कौन सी है?
-
'चाहती हूं जीना असत्य को' मेरी स्वरचित पसंदीदा पोस्ट है, और अन्य चिट्ठकारों की भी मैने कई पोस्ट पढी हैं और जैसा की कहा मुझे सब पसंद है .. पर हां एक पोस्ट है जो दिल को इस कदर छू गई की मैं रो पङी थी.. आज तक नहीं भूला पाई हूं.. 'पुत्र क खत पिता के नाम..!!!' (www.divine-india.blogspot.com)..

*आप किस तरह के चिटठे पढना पसंद करते हैं?
- लगभग सभी तरह के चिट्ठे पढती हूं .. बस तकनीकी छोङ कर...
*आप किसी साथी चिट्ठाकार से प्रत्यक्ष मिलना चाह्ते हैं? तो वो कौन हैं और कौन है और क्यॊं?
- वही सब की तरह मैं भी यही कहूंगी की सबसे मिलना चाहूंगी क्यूंकि मुझे सारे रंग (चिट्ठे) पसंद हैं?

# बाकी एक सवाल का जवाब उपर जीतू जी के सवालों में है.. बाकी दो छोङ रही हूं...
अब पंकज जी के सवाल...
*हिन्दी चिट्ठाकारी ही क्यों?
- क्योंकि हिंदी मातृभाषा है और प्रिय भी.. फ़िर बोलती और सोचती भी हिंदी में ही हूं.. तो लिखती भी हिंदी में ही हूं..

*जीवन में कब सबसे अधिक खुश हुये?
- खुश तो हमेशा रहती हूं.. वैसे प्यार की अनुभूति सबसे ज्यादा खुशी देती है.. रूप चाहे जो भी हो.. स्नेह,प्रेम,ममत्व, वात्सल्य.. प्यार मिलता है बहुत खुशी होती है..

*अगला जन्म मिले तो क्या नहीं बनना चाहोगे?
- क्या नहीं बनना चाहूंगी.. ये मुश्किल सवाल है.. ये पूछते क्या बनना चाहुंगी.. खैर बस उल्लू या गधा नहीं.. क्यूं ? .. अरे नाम सुनते ही लोग समझ जायेंगे उपर वाला फ़्लोर खाली है.. ऐसे कम से कम भ्रम तो है.. :)

*कौन सा चिट्ठा सबसे अधिक पसंद है और क्यों?
- जवाब उपर पढ लें..

*हिन्दी चिट्ठाजगत के प्रचार-प्रसार में क्या योगदान दे सकते हैं?
- कोशिश करूंगी की और चिट्ठाकारों को प्रेरित करूं .. और पढने को भी.. और हां boring post ना करूं..

आखिर हो गये सवाल पूरे.. इतने जवाब तो कभी किसी परीक्षा में भी एक साथ नहीं दिये.. उम्मीद है उत्तीर्ण ही जाऊंगी.. पूर्णांक ना सही उत्तीर्णांक तो मिल जायें... :)

अब आया सही मौका लोगों से सवाल करने का.. मेरे पांच साथी चिट्ठाकार जिनसे मैं सवाल पूछूंगी वो हैं..

*दिव्याभ जी
*गिरीन्द्रनाथ झा जी
*उपस्थित जी
*बासूती जी
*गुरनाम जी
मेरे पांच सवाल हैं..

*लेखन का आपके जीवन में क्या मह्त्त्व है?
*अपनी स्वरचित पसंदीदा रचना कौन सी है?
*अपने जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के बारे में कुछ बताइये।
*अपनी एक बुराई और एक अच्छाई कहिये?
*मूड खराब होने पर कौन सा गीत सुनते हैं?


























8 comments:

Divine India said...

अरे तुमने तो काफी कुछ कह दिया मेरे बारे में!!!
मान्या जी!!!
धन्यवाद!
प्रश्नो का बहुत सटीक जवाब दिया है जो हमेशा से उम्मीद रहती है तुमसे…वैसे जवाब देना मेरे बस का काम नहीं…पर कुछ लोगों के प्रेमाग्रह के कारण कोशिश करुँगा…थोड़ा व्यस्त होने के कारण परेशानी है…।धन्यवाद!!

Jitendra Chaudhary said...

बहुत सही। १००/१००
आप परीक्षा मे वरीयता से उत्तीर्ण की जाती है।

रही बात मेरी सहायता करने की, तो भई, मैने तो सिर्फ़ रास्ता दिखाया था, मेहनत आपने स्वयं की है, इसके लिए मेरे को श्रेय मत दीजिए, अपनी ही पीठ थपथपाइए।

आपकी कविताएं काफी भावुक होती है, दर्द भरी। लेकिन भई, जिन्दगी मे हर तरह के रंग है, वो सभी रंग कविताओं मे दिखने चाहिए,है कि नही?

उम्मीद है आप लगातार लिखती रहेंगी। भविष्य से आपको बहुत उम्मीदें है।

Anonymous said...

आपके बारे में जान कर अच्छा लगा.

Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झा said...

अरे आपने तो ...ब्लाग के रूप मे एक नया संस्करण ही प्रारंभ कर दिया. वैसे काफी रोचक है. जहां तक द्वियाभ भैया की बात है तो वो हम सभी को लिखने के लिए प्रेरित करते रहते हैं.
आपका उत्तर सवालो को लेकर रोचक लगा.
आपने जहां तक सवालात दागे है, उसका जबाब भी दिया जाएगा.
१. जहां तक लेखन का सवाल है ..वह मेरे लिए रोटी का जरिया भी है तो दूसरी और आत्मिक शांति का खुराक भी. मैं लगातार लिखते रहने पर विश्वास करता हूं. पत्रकारिता में हू इसलिए हर दिन शाम को ३-४ रिपोर्ट फाईल करनी ही होती है..लिखना कहूं तो चलता हीं रहेगा.
२.मेरी रचनाए दरअसल फिल्ड नोट्स पर आधारित होती हैं.इसकारण मैं इसे अनुभव कहता हूं..वैसे कहा भी गया है- "अनुभव गावै सो गीता.." इसी कारण मेरी अपनी पसंदीदा रचना मेरा एक शोध कार्य है. उसका टाईटल है- प्रवासी इलाको में टेलिफोन बूथ संस्कृति. यह कार्य मैने सराय्-सी एस डी एस के सौजन्य से किया था. मूलतः मै फणिश्वर नाथ रेणु और गुलज़ार चचा से प्रभावित हूं..सो लिखना चलता रहता है.
३.मेरी अच्छाई है -"मैं जल्द लोगो से प्रभावित हो जाता हूं.
बुराई है -"-"मैं जल्द लोगो से प्रभावित हो जाता हूं.
४. मूड खराब होने पर मै अक्सरां सुनता हूं...."जिंदगी कैसी है पहेली......"

जहां तक आपका एक सवाल है कि *अपने जीवन में सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति के बारे में कुछ बताइये....?
सो बता न पाउंगा...कौन है..? इस दुनिया मे तो हार रोज़ सस्ते दामो मे खुदा बिकते है..
गिरीन्द्र नाथ झा.

Divine India said...

गिरीन्द्र,
तुम्हारा जवाब भी उतना ही सटीक लगा जैसा मान्या ने दिया है…तुम लोग तो स्वयं ही मेरे प्रेरणा साथी हो…सीखना तो परस्पर चलता रहता है…।

ePandit said...

देर आएद दुरुस्त आयद, खूब जवाब दिए आपने।

"*आपको चिट्ठाकरी करते समय कैसा प्रोत्साहन और सहयोग मिला था?
- ये उत्तर थोङा लंबा होगा.. "


इस उत्तर को लंबा कह रही हैं लगता है आपने मेरे जवाब नहीं पढ़े। :)

"लगभग सभी तरह के चिट्ठे पढती हूं .. बस तकनीकी छोङ कर..."

वैसे तो जी हम एकदम सरल भाषा में नए चिट्ठाकारों को ध्यान में रख कर लिखता हूँ लेकिन फिर भी समझ न आए तो टिप्पणियाँ पढ़कर टिप्पणी कर दीजिएगा न, जैसा हम करते हैं कविता वाले चिट्ठों पर। ;)

Sagar Chand Nahar said...

बड़ा ही सुखद संयोग है कि सारे के सारे चिट्ठाकार इस प्रतियोगिता में शत प्रतिअत अंको से उत्तीर्ण हुए। आप भी।
बहुत ईमानदारी से जवाब दिये और इस तरह से दिये कि कोई नाराज भी ना हो।
॥सागर जैन॥

Sagar Chand Nahar said...

बड़ा ही सुखद संयोग है कि सारे के सारे चिट्ठाकार इस प्रतियोगिता में शत प्रतिअत अंको से उत्तीर्ण हुए। आप भी।
बहुत ईमानदारी से जवाब दिये और इस तरह से दिये कि कोई नाराज भी ना हो।
॥सागर जैन॥