चुपके से सुन...इस पल की धुन..
बख्त का जौर इंसान को ऐसे हालात में ला कर खड़ा कर देता है कि वहाँ हम रुसवाई के सिवा कुछ नहीं पाते हैं…निराशा और हताशा जीवन के साथी हो चलते हैं…और दिल में जो ख़लिश उठती है वह तो उसे महसूस करने वाला ही समझ सकता है…।छोटा है…पर अच्छा है…।
thanx Divya for understanding n liking...
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बख्त का जौर इंसान को ऐसे हालात में ला कर खड़ा कर देता है कि वहाँ हम रुसवाई के सिवा कुछ नहीं पाते हैं…निराशा और हताशा जीवन के साथी हो चलते हैं…और दिल में जो ख़लिश उठती है वह तो उसे महसूस करने वाला ही समझ सकता है…।
छोटा है…पर अच्छा है…।
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