Saturday, December 15, 2007

सवाल?????? जिंदगी???????जाने क्या????


रूके हैं कुछ खारे से पल....

पलकों की दहलीज़ पर...

देते हैं दस्तक हर पल....

कैसे दूं इज़ाज़त....

ज़मीन नहीं पैरों तले...

साया नहीं आसमां का...

सर पर..

जाने किस ज़मीन पर...

चलते हैं कदम...

दिन कभी ढलता नहीं....

ना कभी होती है सहर...

जाने किस घड़ी की...

सूईयों पर बीतता जाता है वक्त...

मंज़िलों की तलब नहीं....

नामालूम से रास्ते हैं....

चली जाती हूं अकेले ही...

जाने कब खत्म होगा सफ़र...

ना सुनाई देती है कोई सदा...

ना खिलते हैं कभी लब....

क्या करता खुदा भी मेरा...

मैंने कोई दुआ की ही कब...

ना पूछो मेरी उदासी का सबब...

ना सवाल करो मेरी हंसी पर..

बदलते मौसमों को कौन रोक सका है...

किसने की हुकूमत हवा के रूख पर...

हां कुछ अजीब है मेरी दास्तां....

उसने जाने किस स्याही से...

जाने कौन सी इबारत लिखी है...

जिंदगी के पन्नों पर....

जो मैंने ना समझा....

वो तुम क्या समझोगे....

क्यूं उलझते हो...

'मन' की उलझन से....

तुम भी खो ना जाओ कहीं...

इसलिये कहती हूं....

लौट जाओ अपनी दुनिया में...

अपनी राहों पर....
कभी खिली है चांदनी....
अमावस के आसमान पर????