Saturday, June 23, 2007

तुम मेरा नाम रख देना...मैं बस तुम्हारे लिये रहूंगी...


यूं अकेले तन्हा... क्यूं हो..

किसे ढूंढते हो आस-पास...

मैं बन के हमराह..

हर पल संग चलूंगी..

तुम मेरा नाम 'साथी' रख देना..

बस तुम्हारे लिये तो मैं हूं...

तुम्हारे लिये ही रहूंगी...


तुम्हारा उलझा-उलझा सा दिल...

रोज़ करता है कितने सवाल...

आज मैं दूंगी साथ...

हर सवाल का जवाब बनूंगी..

तुम मेरा नाम 'तमन्ना' रख देना..

बस तुम्हारे लिये तो मैं हूं..

तुम्हारे लिये ही रहूंगी...


ये सूनी-सूनी.. खाली आंखें तेरी...

जाने कहां खोया इनका विश्वास...

अब मैं जगाउंगी आस....

मैं इनमें बन के दीप जलूंगी..

तुम मेरा नाम 'रोशनी' रख देना..

बस तुम्हारे लिये तो मैं हूं...

तुम्हारे लिये ही रहूंगी...


क्यूं बुझा-बुझा सा मन तुम्हारा...

नहीं जगता इसमें कोई अरमान....

मैं तुम्हारे सूखे होठों पर...

बन के मुस्कान खिलूंगी...

तुम मेरा नाम 'खुशी' रख देना...

बस तुम्हारे लिये तो मैं हूं...

तुम्हारे लिये ही रहूंगी....


जाने कबसे हो निःशब्द....

हर पल बोझल कटता ही नहीं...

तुम्हारे इस रूके जीवन में...

मैं दिल बन कर धड़कूंगी...

तुम मेरा नाम 'जिंदगी' रख देना...

बस तुम्हारे लिये तो मैं हूं..

तुम्हारे लिये ही रहूंगी....


"आने दो मुझे जिंदगी मे...होने दो शामिल धड़कन में...

चलो कुछ दूर मेरे साथ.. थाम के मेरा हाथ...

देखना मैं हर बेनूर पल में... 'रंग ओ नूर' भर दूंगी.."


19 comments:

Anonymous said...

बहुत अच्छी लगी कविता ।

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

जिंदगी'...'खुशी'...'रोशनी' ... 'तमन्ना' ..साथी' ...सुँदर हैँ सारे नाम ..सारे भाव और आपकी कविता मन्या !
स्बेह,
लावण्या

Divine India said...

मान्या,
मुझे एक अत्यंत सुलझा प्रयास लगा…कविता में जो स्वयं के साथ होते हुए एक बदलाव भी है जिसे महसूस किया जा सकता है…बिल्कुल सामने दिख रहा है… बहुत सुंदर संयोजन किया है भाव में श्रृंगार का…।

अनूप शुक्ल said...

बहुत खूब!

RC Mishra said...

अति सुन्दर!

Udan Tashtari said...

वाह, बहुत आनन्द आया. बधाई. साथी, रोशनी--सुंदर चित्रण!!

Abhay said...

जो मुझे महसूस हुआ वह ये की इस कविता के भाव संकेतिक हैं ..जैसे कोई अभीपसा हो गहरी ..अवचेतन मन के किसी अंधेरे कोने मे छुपी हो कहीं. वैसे भावना व्यक्त करने का तरीक़ा बेहतर हैं..
शुक्रिया

Sanjeet Tripathi said...

शानदार!!
सटीक कहा गुलज़ारबाग जी आपने!!

रंजू भाटिया said...

बहुत सुंदर तरीक़े से आपने दिल के भाव और प्यार इस रचना में उढेल दिया है ..

Vikash said...

वाह! सुन्दर रचना है।

राजीव रंजन प्रसाद said...

बहुत अच्छी रचना पढवाने का आभार।

*** राजीव रंजन प्रसाद

ghughutibasuti said...

बहुत सुन्दर भाव ! बहुत दिन बाद आपकी कविता पढ़ने को मिली ।
घुघूती बासूती

Anonymous said...

Kuch kahti hai aapki kavita
per kya kahti hai...
apko pata hai kisine kya khub kaha hai
'muhabbat ek raaj hai'
per jo v ho bahut acchi lagi ye kavita..

Monika (Manya) said...

धन्यवाद अफ़लातून जी...

लावण्या मैडम, बेहद शुक्रिया की आप आईं और मेरा लिखा आपको पसंद आया..

शुक्रिया दिव्याभ, मित्र तुम्हारे यही शब्द हौसला बनाये रखते हैं..

अनुप जी बेहद शुक्रिया ...

मिश्रा जी .. धन्यवाद ...

समीर जी शुक्रिया मनोबल बढाते रहने का..

शुक्रिया गुल्जार बाग जो इतनी गहराई से समझा...

संजीत जी तहे दिल से शुक्रिया..

Monika (Manya) said...

बेहद शुक्रिया रंजु जी जो इतने अच्छे शब्द कहे...

शुक्रिया विकास.. आते रहना..

राजीव जी आभारी तो मैं हुं.. शुक्रिया..

बासुती जी बहुत धन्य्वाद.. आप हमेशा हौसला बढाती हैं..

रंजन जी.. मोह्ब्बत एक राज है सही है.. पर इस कविता में जो छुपा है .. वो हर उस श्ख्स के लिये है जो दिल के करीब है..

Reetesh Gupta said...

मान्या,

पढ़कर बहुत अच्छा लगा ....सरल शब्दों वाली कविता अच्छी लगी....बधाई

Sharma ,Amit said...

Good selection of words... Sweet to read...

आशीष "अंशुमाली" said...

निस्‍संग समर्पण। कविता में एक ओर विस्‍तृत कैनवास है, दूसरी ओर आत्‍मीय गहराई। बधाई स्‍वीकारें।

Unknown said...

"आने दो मुझे जिंदगी मे...होने दो शामिल धड़कन में...


चलो कुछ दूर मेरे साथ.. थाम के मेरा हाथ...


देखना मैं हर बेनूर पल में... 'रंग ओ नूर' भर दूंगी.."

Iss uper ke line mein wo sabhi aapney likh diya jo bhaw ko aap darsha rahi thi.. rest of the lines mein. simply nice.....khash kar namaankaran.......Sathi, tamanna, roshni etc..........