जाने कैसा दर्द है... की मुझे दर्द का एह्सास नहीं..
जले ज़ख्मों पे नमक कौन छिड़कता है...
जिस्म छिलने से मुझे कहां दर्द होता है...
मेरे रिसते जख्मों को मरहम की तलाश नहीं....
जले ज़ख्मों पे नमक कौन छिड़कता है...
जिस्म छिलने से मुझे कहां दर्द होता है...
मेरे रिसते जख्मों को मरहम की तलाश नहीं....
सूनी वीरान आंखें... अब बंजर हो चली हैं..
होने दो अब दर्द की बारिश....
ज़िंदा रहने को समंदर भी अब कम पड़ता है...
मुझे मीठी झील की प्यास नहीं....
होने दो अब दर्द की बारिश....
ज़िंदा रहने को समंदर भी अब कम पड़ता है...
मुझे मीठी झील की प्यास नहीं....
मेरी समझ उसे कभी समझ ना सकी...
ना उसने मुझे समझा कभी...
हाथ में सवालों के पत्थर उठाये खड़ा है आईना...
ये अक्स मेरा है... पर इसे मेरी पहचान नहीं...
ना उसने मुझे समझा कभी...
हाथ में सवालों के पत्थर उठाये खड़ा है आईना...
ये अक्स मेरा है... पर इसे मेरी पहचान नहीं...
दर्द को हथेली में बंद कर जो छिपा लिया मैंने...
मेरी तकदीर की लकीरों में अब मुस्कान नहीं...
मेरी तकदीर की लकीरों में अब मुस्कान नहीं...
11 comments:
bhut....bahut hi khoobsoorat rachna hai.Bhaon ki abhivyakti bhi spast hai.
Navnit Nirab
दर्द को हथेली में बंद कर जो छिपा लिया मैंने...
मेरी तकदीर की लकीरों में अब मुस्कान नहीं..
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति..
दर्द को हथेली में बंद कर जो छिपा लिया मैंने...
मेरी तकदीर की लकीरों में अब मुस्कान नहीं...
-क्या बात है!! बहुत बढ़िया.
आजकल लिखना बन्द है?
सुंदर रचना है...
मेरे रिसते जख्मों को मरहम की तलाश नहीं....
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वाकई कुछ दर्द ऐसे भी होते हैं जिन्हें जिन्दा रखने में सुकून आता है.
बहुत खूब
dard hi dard bikhare pade hai .........shubhkamanaye
दर्द को हथेली में बंद कर जो छिपा लिया मैंने...
मेरी तकदीर की लकीरों में अब मुस्कान नहीं...
वाह, बहुत ही उम्दा।
अच्छा है।
बहुत दिनो बाद तुम्हारी कविता देखी अच्छा लगा।
लगता है बहुत दिनो बाद लिखा है, खैर धीरे धीरे रंग मे आओगी, मुझे विश्वास है।
ये वाली लाइने बहुत अच्छी लगी।
मेरी समझ उसे कभी समझ ना सकी...
ना उसने मुझे समझा कभी...
हाथ में सवालों के पत्थर उठाये खड़ा है आईना...
ये अक्स मेरा है... पर इसे मेरी पहचान नहीं...
dil me aasoon bhara samandar rakhte hai ...log jubbaan pe late hai, hum andar rakhte hai.....
Bahut achhi kavita hai...har ek line me dard ki achhi abhivyakti hai....agar dard insaan hota to ise padhkar...uska dil bhi aansuoon se bhar jata..
Kiran
very very good hai jiiii...
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