रात अमावस की है....
मगर याद की वादी में....
तेरे प्यार का चांद खिला है....
उसी चांदनी से ... भीगा मेरा मन....
रूप सुनहरा मेरा खिला है...
तेरे ही प्रेम का सोलह-श्रृंगार है...
तुझे छूकर ही... ’मन’ बहका-बावरा हुआ है....
नैना -चंचल.. ठहरे हैं तेरी राह पर...
तेरे एहसास से... तन मेरा महका हुआ है...
तुम ही तुम हो मुझमें.... मैं कहां हुं....
तुम से ही मिलकर... तुम में खोकर.......
मैंने सब पा लिया है...........
बहुत दूर हो तुम मुझसे... लेकिन...
तुमने मेरा हर पल बांध लिया है....
संग तुम्हारा हर धड़कन में....
तुम्हें इस ही नहीं....
मैंने हर जनम में पा लिया है...
"तुम्हें पाने की चाह नहीं ’सांवरे’... बस पूर्ण समर्पण का भाव है..
तुम तो मेरे ही हो सदा से.. प्यास में भी बस तृप्ति का एह्सास है"
6 comments:
bahut sundar abhivyakti-
बहुत दूर हो तुम मुझसे... लेकिन...
तुमने मेरा हर पल बांध लिया है....
संग तुम्हारा हर धड़कन में....
तुम्हें इस ही नहीं....
मैंने हर जनम में पा लिया है...
http://www.ashokvichar.blogspot.com
बहुत समय बाद आईं हैं आप...सब ठीक ठाक तो है. बेहतरीन रचना!!
वाह वाह क्या बात बहुत खूब । बढिया लिखा है । शुभ वर्तमान आगे भी अच्छा लिखो। बहुत ही सुन्दर कविता । प्रशंसनीय । भाव को शब्दजाल के माध्यम बहुत ही प्रभावपूर्ण तरीके से सामने प्रस्तुत किया । धन्यवाद
chalo itne din baad hi sahii manya ji kae darshan to huae , aasha haen theek haen
kavita hamesha ki tarah sundee
मगर याद की वादी में....
तेरे प्यार का चांद खिला है....
behad khubsurat khayal,sundar rachana
आप सभी को .. मेरी तरफ़ से विजयादशमी की हार्दिक शुभ्कामनायें.........
अशोक जी, उत्साहवर्धन के लिये बेहद धन्यवाद....
समीर जी.. सब ठीक है आपकी दुआ से... कोशिश रहेगी की जल्दी जल्दी आ सकूं.....धन्य्वाद..
नीशू जी... बहुत शुक्रिया आने का और अपने विचार व्यक्त करने का.....
रचना जी...आप तो शर्मिंदा कर रही हैं.. मुझे मान्या जी कहकर .. आपने मुझे याद रखा बेहद अच्छा लगा .. उम्मीद है अब हमेशस मुलाकात होगी..... शुक्रिया...
महक जी.... बहुत शुक्रिया..खूब्सुरत बात कहने का...
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