रूके हैं कुछ खारे से पल....
पलकों की दहलीज़ पर...
देते हैं दस्तक हर पल....
कैसे दूं इज़ाज़त....
ज़मीन नहीं पैरों तले...
साया नहीं आसमां का...
सर पर..
जाने किस ज़मीन पर...
चलते हैं कदम...
दिन कभी ढलता नहीं....
ना कभी होती है सहर...
जाने किस घड़ी की...
सूईयों पर बीतता जाता है वक्त...
मंज़िलों की तलब नहीं....
नामालूम से रास्ते हैं....
चली जाती हूं अकेले ही...
जाने कब खत्म होगा सफ़र...
ना सुनाई देती है कोई सदा...
ना खिलते हैं कभी लब....
क्या करता खुदा भी मेरा...
मैंने कोई दुआ की ही कब...
ना पूछो मेरी उदासी का सबब...
ना सवाल करो मेरी हंसी पर..
बदलते मौसमों को कौन रोक सका है...
किसने की हुकूमत हवा के रूख पर...
हां कुछ अजीब है मेरी दास्तां....
उसने जाने किस स्याही से...
जाने कौन सी इबारत लिखी है...
जिंदगी के पन्नों पर....
जो मैंने ना समझा....
वो तुम क्या समझोगे....
क्यूं उलझते हो...
'मन' की उलझन से....
तुम भी खो ना जाओ कहीं...
इसलिये कहती हूं....
लौट जाओ अपनी दुनिया में...
अपनी राहों पर....
कभी खिली है चांदनी....
अमावस के आसमान पर????
10 comments:
अच्छी लगी.
ना खिलते हैं कभी लब
ko naa boltae hae kabhie lab kare toh kya impact badhtaa hae ?? the poem is very nise and i like your word selection as always and the attached pics always are too good
ना पूछो मेरी उदासी का सबब...
ना सवाल करो मेरी हंसी पर..
दिल को गहराई तक छू लेने वाली रचना...
ना पूछो मेरी उदासी का सबब...
ना सवाल करो मेरी हंसी पर..
बहुत खूब........
जो मैंने ना समझा....
वो तुम क्या समझोगे....
क्यूं उलझते हो...
'मन' की उलझन से....
तुम भी खो ना जाओ कहीं...
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हृदयस्पर्शी पंक्तियाँ
दीपक भारतदीप
क्या करता खुदा भी मेरा…
मैने कोई दुआ की ही कब्…
!!!!!!!!!
बहुत अच्छा लिखा है आपने..
आप सभी को सादर अभिवादन !
आप सभी को जान कर अति हर्ष होगा कि हम मुंबई में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन करने जा रहे हैं । सभी साहित्य प्रेमी, कवि, श्रोता, ब्लागर्स एवं अन्य इच्छुक महानुभावों से विनती है कि कृपया इसमें अवश्य सम्मिलित हों । कृपया अपनी उपस्थिति से, अपनी कविताओं से सभी को भाव- विभोर कीजिए... कनाडा से पधारे समीर लाल जी भी इस गोष्ठी का हिस्सा होंगें...
आप सभी से निवेदन है कि कृपया अपना नाम यथाशीघ्र गोष्ठी में दर्ज करवाएं...
हिन्दी की अलग अलग बिधाओं मे रूचि रखने वाले हिन्दी प्रेमियों के बीच की दूरी को कम करने और अपने विचारों के आदान प्रदान एवं मेल - मिलाप का यह एक सुनहरा अवसर है |
कार्यक्रम का विवरण इस प्रकार है -
स्थान - अणुशक्तिनगर, (चेम्बूर) मुम्बई
तारीख - 12-01-2007 (शनिवार)
समय - प्रात: 10.00 बजे
परिचय - 10 - 10.30 बजे प्रात:
काव्य गोष्ठी - 10.30 - 12.30
कार्यक्रम के उपरांत भोजन (self service) की व्यवस्था भी रहेगी..
संपर्क सूत्र
कवि कुलवंत सिंह
022-25595378 (O)
kavi.kulwant@gmail.com
अवनीश तिवारी -
anish12345@gmail.com
Ha khili hai chandni amawas k aasmaan par
maine to jarur dekha hai..
:-)
Manya naya saal apko bahut-bahut mubarak ho..
Apki kavitao me kuch aur he bat hoti hai!!
bahut se bhawo ko itni safgoi se bayan karti hai
fir v kuch panktiy to ulghati jarur hai..
To v padhne me acchi lagti hain
bahut dinon ke baad aapne likha hai kuch..likhti rahein
Lovely prose
will wait for more.
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