एक रिश्ता तेरा - मेरा.......
एक रिश्ता कुछ पूरा.... कुछ अधूरा......
कुछ तुम सा... कुछ मुझ सा...
एक रिश्ता... हम सा....
यादों के नर्म लिहाफ़ में लिपटा....
तेरी मेरी उंगलियों में उलझा...
कभी सुबह की करवटों में.....
कभी शाम के झुरमुटों से...
हर कोने से पुकारता... एक रिश्ता..
मेरी गोद में मुंह छिपाए....
तेरे कांधे पे सर को झुकाये....
सिसकता है रिश्ता.....
मुझ से हाथ छुड़ा तेरे पीछे....
साये सा चला है.. रिश्ता...
तुम्हें रोकता... मुझे बुलाता...
चलते - चलते रुका सा रिश्ता....
बढती दूरियों में... खोया सा...
सन्नाटे में गुम .. सदाओं सा...
ना तुममें शामिल... ना मुझमें...
अब अकेला चला है रिश्ता...
थकी - थकी सी सांसें लेता....
बंद पलकें किये... सोया है रिश्ता.....
एक रिश्ता कुछ पूरा.... कुछ अधूरा......
कुछ तुम सा... कुछ मुझ सा...
एक रिश्ता... हम सा....
यादों के नर्म लिहाफ़ में लिपटा....
तेरी मेरी उंगलियों में उलझा...
कभी सुबह की करवटों में.....
कभी शाम के झुरमुटों से...
हर कोने से पुकारता... एक रिश्ता..
मेरी गोद में मुंह छिपाए....
तेरे कांधे पे सर को झुकाये....
सिसकता है रिश्ता.....
मुझ से हाथ छुड़ा तेरे पीछे....
साये सा चला है.. रिश्ता...
तुम्हें रोकता... मुझे बुलाता...
चलते - चलते रुका सा रिश्ता....
बढती दूरियों में... खोया सा...
सन्नाटे में गुम .. सदाओं सा...
ना तुममें शामिल... ना मुझमें...
अब अकेला चला है रिश्ता...
थकी - थकी सी सांसें लेता....
बंद पलकें किये... सोया है रिश्ता.....