यूं किसी चीज़ से डर लगता नहीं मुझको..
बस एक तेरी नज़रों से दहशत होती है...
किसी और की ख्वाहिश अब नहीं मुझको..
पर जाने क्यों तुझसे मोहब्बत होती है...
सारे जिस्म को मेरे अब कोई एह्सास होता नहीं...
लेकिन तेरे नाम से दिल में अब भी हरकत होती है...
मैंने तो कई बार की अपनी मौत की दुआ...
जाने किसकी दुआ से मेरी उम्र में बरकत होती है...
जहां से तुम ने कह दिया अलविदा....
मेरी जान भी बस वहीं से रुखसत होती है...
इंसानी लहू की चाह सिर्फ़ जानवर को ही नहीं..
यकीं मानो इंसानों में भी एसी वहशत होती है...