आज गणतंत्र दिवस है...( याद है ना?)... आप सब को मेरी हार्दिक शुभकामनायें.. मुझे बचपन से स्वंतत्रता दिवस/गणंतत्र दिवस ये दोनों दिन बहुत अच्छे लगते हैं।जब छोटी थी तब स्कूल जाना परेड में भाग लेना, झंडा फ़हराना, फ़िर शपथ ग्रहण मुझे ये सब बहुत पसंद थे। मुझे याद है जब मैं छोटी थी मम्मी से हमेशा इन दिनों पर कुछ पकवान बनाने कि जिद करती थी, जब पहली बार कहा था तो मम्मी ने पूछा था क्यों ? मैने कहा "क्यों नहीं जब होली, दिवाली पर बनाते हो तो आज क्यों नहीं ? ये तो पूरे देश के त्योहार हैं और तब से आज तक ये सिलसिला जारी है.. बस अब खाना मै बनाती हूं। इन दिनो में सुबह उठ्ते हि चारों तरफ़ बजते देशभक्ति के गीत और लहराते-फहराते तीन रंग मन को आंनद से उमंगो से भर देते थे।
पर आज कि सुबह तो कुछ और ही थी। सुबह उठी तो चारों तरफ़ शांति छाई थी न कोइ कोलाहल ना ही कोई शोर.. अरे आज तो छुट्टी है ना.. फिर किसे जल्दी है उठकर कहीं जाने की! कहीं देशभक्ति गीत बजना तो दूर की बात किसी भी इमारत पर मुझे वो तिरंगा तक नहीं दिखा। खुद हमारे कोम्प्लेक्स मे दो दिन पहले सरस्वती पूजा बङी धूमधाम से मनाई गई थी पर आज सब सो रहे थे।मेरे कमरे की खिङकी के ठीक सामने एक स्कूल दिखता है.. मैंने सोचा यहां तो जरूर कोई कार्यक्रम हो रहा होगा ये सोच कर वहां झांका, पर.. सूना पङा था विद्यालय का प्रांगण। ये है देश के भावी नागरिकों कि तैयारी...????!!!!!
मैंने सोचा कि टेलीविज़न आन करती हूं शायद एह्सास हो की आज गणंतत्र दिवस है, पर मेरे मन की अभिलआषाओं को और निराश करते हुये किसी चैनल पर ऐसा कुछ नहीं दिखाई दिया जिससे ये याद आता कि आज.....। हां कुछ देर बाद नेशनल चैनल पर परेड का सीधा प्रसारण जरूर आने वाला था।पर क्या आज यही रह गया है २६ जनवरी या १५ अगस्त का महत्व हमारे लिये.. ? क्या सिर्फ़ एक और छुट्टी का दिन.. क्या हमारे दिलों मे देश के प्रति प्यार बिल्कुल ही खत्म हो चुका है.. क्या हम देश के प्रति संवेदनहीन हो चुके हैं.. ? क्यों आज का युवा भारतीय वेलेंटाइन डे, फ्रेंडशिप डे या रोज़ डे कि तरह १५ अगस्त या २६ जनवरी की तरफ़ आकर्षित नहीं है। क्या सिर्फ़ सेना के जवानों की परेड और स्कूली बच्चों के प्रोग्राम ही काफी है हमारी जिम्मेदारी पूरी करने के लिये ..? क्यों हम आज के दिन पिकनिक या मूवी जाना ज्यादा पसंद करते है...? क्यों हम भूल गये हैं स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस को .. क्यों ये सिर्फ़ २६ जनवरी या १५ अगस्त है.. अवकाश का एक और दिन..?
पर आज कि सुबह तो कुछ और ही थी। सुबह उठी तो चारों तरफ़ शांति छाई थी न कोइ कोलाहल ना ही कोई शोर.. अरे आज तो छुट्टी है ना.. फिर किसे जल्दी है उठकर कहीं जाने की! कहीं देशभक्ति गीत बजना तो दूर की बात किसी भी इमारत पर मुझे वो तिरंगा तक नहीं दिखा। खुद हमारे कोम्प्लेक्स मे दो दिन पहले सरस्वती पूजा बङी धूमधाम से मनाई गई थी पर आज सब सो रहे थे।मेरे कमरे की खिङकी के ठीक सामने एक स्कूल दिखता है.. मैंने सोचा यहां तो जरूर कोई कार्यक्रम हो रहा होगा ये सोच कर वहां झांका, पर.. सूना पङा था विद्यालय का प्रांगण। ये है देश के भावी नागरिकों कि तैयारी...????!!!!!
मैंने सोचा कि टेलीविज़न आन करती हूं शायद एह्सास हो की आज गणंतत्र दिवस है, पर मेरे मन की अभिलआषाओं को और निराश करते हुये किसी चैनल पर ऐसा कुछ नहीं दिखाई दिया जिससे ये याद आता कि आज.....। हां कुछ देर बाद नेशनल चैनल पर परेड का सीधा प्रसारण जरूर आने वाला था।पर क्या आज यही रह गया है २६ जनवरी या १५ अगस्त का महत्व हमारे लिये.. ? क्या सिर्फ़ एक और छुट्टी का दिन.. क्या हमारे दिलों मे देश के प्रति प्यार बिल्कुल ही खत्म हो चुका है.. क्या हम देश के प्रति संवेदनहीन हो चुके हैं.. ? क्यों आज का युवा भारतीय वेलेंटाइन डे, फ्रेंडशिप डे या रोज़ डे कि तरह १५ अगस्त या २६ जनवरी की तरफ़ आकर्षित नहीं है। क्या सिर्फ़ सेना के जवानों की परेड और स्कूली बच्चों के प्रोग्राम ही काफी है हमारी जिम्मेदारी पूरी करने के लिये ..? क्यों हम आज के दिन पिकनिक या मूवी जाना ज्यादा पसंद करते है...? क्यों हम भूल गये हैं स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस को .. क्यों ये सिर्फ़ २६ जनवरी या १५ अगस्त है.. अवकाश का एक और दिन..?
और जाते-जाते एक और अंतिम किन्तु मह्त्वपूर्ण सवाल..... Republic Day... गंणतंत्र दिवस.. .. Is India really Republic... ? मुझे तो नहीं लगता..( क्यों कहना जरूरी नहीं समझती)..। आइए आप भी कुछ कहिये...