Tuesday, February 6, 2007

परिवर्तन...


मैंने देखा है....

तुम्हारी आंखों में वो स्नेह का निर्झर...

मैंने पह्चाना है...

तुम्हारा वो निश्छल, कोमल मन...

फ़िर अचानक कैसे हुये...

तुम इतने कठोर...

कैसे.. जा सके तुम इतनी दूर..

एक बार कहो...

क्यों हुआ ये परिवर्तन...

जो तोङ दिये सारे बंधन..?

2 comments:

Divine India said...

बख्त का जौर इंसान को ऐसे हालात में ला कर खड़ा कर देता है कि वहाँ हम रुसवाई के सिवा कुछ नहीं पाते हैं…निराशा और हताशा जीवन के साथी हो चलते हैं…और दिल में जो ख़लिश उठती है वह तो उसे महसूस करने वाला ही समझ सकता है…।
छोटा है…पर अच्छा है…।

Monika (Manya) said...

thanx Divya for understanding n liking...