Friday, May 25, 2007

एक नदी है वो.....


एक नदी है वो...
बहती अविरल..
ढूंढती अपनी दिशायें खुद...
चुन के अपनी राह..बह्ती चंचल..
सुनो इसकी कल-कल...
कितनी मृदु, निर्मल, निश्छल..
देखो इसके सौंदर्य को..
जाने कितनी शंख-सीपियां..
जाने कैसे चिकने पत्थर..
चमकीली महीन नर्म रेत..
सब कुछ कितना सुंदर..
बह्ती जाती है..आतुर..
मिलने सागर को..व्याकुल...
सागर से मिल सागर सी..
हो जायेगी विस्तृत...
देखो कैसी बहती अल्ह्ड़..
शीतल जल.. कल-कल..

Sunday, May 20, 2007

सांवरे!.. कहां हो तुम..


बढता जाता है तन्हाई का एह्सास..

नहीं कोई हमराह मेरे साथ...

बस एक तेरी दिल को आस..

सांवरे!.. कहां हो तुम...


छुटता जाता है..रिश्तों का साथ..

नहीं बढाता कोई..अपना हाथ...

बस एक तेरी नज़रों को प्यास..

सांवरे!... कहां हो तुम.....


दिखाई देती है .. हर खुशी भी उदास..

रूकी-रूकी सी आती है हर सांस..

बस एक तेरी धड़कनों को तलाश..

मेरे श्याम-सांवरे!.. कहां हो तुम..

Monday, May 14, 2007

मैं... एक नाकाम कोशिश...


मेरा मन...

एक सीला.. अंधेरा कमरा...

जिसमें सन्नाटा.. पसरा हो..


मेरे सपने...

उस अंधेरे में..एक उदास..

रोशनी की लकीर से...


मेरी धड़कन...

कमरे में गुजरती... हवा की..

सरसराहट सी... सहमी हुई..


मेरे अह्सास...

उस अंधियारे में..

खो चुके उजालों से...


और तुम...

अचानक उतर आई.. सपनीले..

रंगों की धूप सरीखे...


और मैं....

उस धूप को...मुट्ठी में..

बंद करने की..

एक नाकाम कोशिश...

Monday, May 7, 2007

बहाव जिंदगी का......




कितने अजीब मोड़ों से गुजरी है जिंदगी...


जाने कौन है हमराह मेरा..


जाने कौन मेरा साथी...


जब भी जो भी मिला....


कुछ अपना सा ही लगा....


दिल के करीब कोई सपना सा लगा...


हर बार मुझे कोई.....


एक नया नाम देता गया..


एक नये बंधन में.....


मेरा वजूद डुबोता गया...


राह में खड़े उस पेड़ की तरह....


कुछ देर यहां ठहरना सभी का....


मेरी परछाईयों में....


सबको सुकून ही मिला....


ढलते दिन के साथ...


जो ढला मेरा साया...


मुझे छोड़ कर....


वो आगे बढता गया.....


और बढते अंधेरे में....


एक नयी आग जला गया....


जली आग ने राह को...


और भी रोशन कर दिया....


खुद को लुटा मेरा मन...


तन्हाई की तपिश सहता रहा....






पर अब चाह्ती हूं बस....


अब ये आग बुझ जाये.....


कोई तो बादल बन....


मुझ पर भी बरस जाये.....


इतनी हो बारिश....


भीग जाये मेरा तन-मन...


एक हो जाये जल-थल...


एक से ही ये धरती-गगन...


मैं भी डूब जाउं....


लेके किसी को संग....


बस अब ये जिंदगी....


किसी मोड़ पर ठहर जाये.....